इस सब में हम कहाँ ? लोग, देश है कहाँ ? लोकतंत्र का नहीं ये सत्तातंत्र का उत्सव है इस सब में हम कहाँ ? लोग, देश है कहाँ ? लोकतंत्र का नहीं ये सत्तातं...
हर दिलों को प्यार के रंग गीत सुनाइये मनुहार मन उत्सव मिल होली मनाइये हर दिलों को प्यार के रंग गीत सुनाइये मनुहार मन उत्सव मिल होली मनाइये
पुलकित हो गये तन-मन सजा चेहरे पर रंगों का नूर है पुलकित हो गये तन-मन सजा चेहरे पर रंगों का नूर है
इसलिये तो अगले बरस फिर गणपति जी को आकर अपना जलवा दिखाना ही होगा। इसलिये तो अगले बरस फिर गणपति जी को आकर अपना जलवा दिखाना ही होगा।
शहर हमारा सुनाता है फैसला किसी न्यायाधीश की तरह। शहर हमारा सुनाता है फैसला किसी न्यायाधीश की तरह।
बात होती भी है और नहीं भी हाल पूछे जाते हैं और नहीं भी बधाइयाँ भी दी जाती हैं और नहीं भी बात होती भी है और नहीं भी हाल पूछे जाते हैं और नहीं भी बधाइयाँ भी दी जाती है...