मध्यस्थ
मध्यस्थ
अजीब कश्मकश है ज़िन्दगी की
रिश्ता है भी
और नहीं भी
बात होती भी है
और नहीं भी
हाल पूछे जाते हैं
और नहीं भी
बधाइयाँ भी दी जाती हैं
और नहीं भी
उत्सव त्योहार भी मनते हैं
कभी- कभी न्योते भी आते हैं
उपहार भी दिए जाते हैं
कुछ अजनबियों जैसी
भागीदारी भी होती है
हम किसी के कुछ
हैं भी और नहीं भी
जो भी है
बस मध्यस्थ है
वे ही तटस्थ है