वह शहादत को तैयार है
वह शहादत को तैयार है
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सीमा पर जो है डटे हुए प्राणों की बाजी लिए खड़े,
वह वतन के वफादार हैं मेरी सांसे जिनकी कर्जदार है।
ना भूख लगे ना प्यास लगे ना गर्मी इन्हें सताती है,
मेरा देश रहे आबाद सदा जान लुटाने को तैयार है।
दिन को भागे रातों जागे मां की लोरी को भूल गए,
जो चैन से सो सके रातों में हम उस नींद के पहरेदार है।
ना चूड़ी की ना पायल की खनक इन्हें बुलाती है,
वह भूल अपने घर को बस मां भारती के कुमार है।
ईद हो या होली दिवाली त्योहार सीमा पर मनाते है,
आंखों में बच्चों का चेहरा लिए सीमा पर तैयार हैं।
जो आ जाए घर किस्मत लेकर घड़ी दो घड़ी बिताने को,
वह आहट सुन दुश्मन की वापस जा जय घोष को तैयार हैं।
तब तक सीमा पर डटे रहे जब तक सांसों में सांस रही,
छोड़ मां की वो नरम गोद किया मां भारती को अंगीकार है।
निभाकर मोहब्बत बतन से जो इस मिट्टी से इश्क किया,
वह कोई और नहीं मां का सपूत अमर जवान तैयार है।
दिखा अदम्य साहस सीमा पर कोहराम किया,
दुश्मन भी कांपे थर थर ऐसी उसकी ललकार है।
प्राण गए निस्तेज बना शरीर ठंडा हो गया,
फिर जी करेगा जयघोष बुझती लौ में जोश बरकरार है।
रक्षा करता जो वतन की हो ना सका अपने घर का रक्षक
जो आया तिरंगे में लिपटा जिसे छूने को परिवार बेकरार है।
वह सूना देख मां का आंचल बच्चों की आंखों के छिने सपने
समझ कर भी हम ना समझे तो बस हम पर धिक्कार है।
जो चले गए हम भूल गए आंखों का पानी सूख गया,
प्यारे देशवासियों देखो सीमा पर वह अब भी तैयार है।
मत भुलाओ मदहोशी में बलिदान को इनके,
तिरंगा जिनका हाथ लिए मां भारती को नमन हर बार है।
जीते जी जो जी गया वह देश का स्वाभिमान है,
मर कर जो अभिमान देश का नमन उसे हर बार है।
कैसे भूले हम वह हिफाज़त मिली है जो उनकी बदौलत,
आंखों में ले स्वप्न वतन परस्ती वह शहादत को तैयार है।