दिन-3 ब्लू बस जिद होनी चाहिए
दिन-3 ब्लू बस जिद होनी चाहिए
उलझन भरी ज़िंदगी में
सफर सीधा रहा कब किसका,
लिए जिम्मेदारी थोड़ी बहुत
बनी बाधाएं रोज का किस्सा।
परे हटा संघर्षों के बादल,
बना मेहनत सांसो का हिस्सा।
बंधी है तेरी तकदीर तेरे हाथ,
बस जूझने की जिद होनी चाहिए।
जोखिम भरी जिंदगी में,
वक्त की है तेज रफ्तार।
तू चाहे या ना चाहे,
मुकाबला मिलेगा हर जगह तैयार।
लगा ताकत खोल दे मुट्ठी,
कर दे जहां को खबरदार।
मंजिल खुद चल आएगी तेरे पास,
बस जीतने की जिद होनी चाहिए।
चमक भरी ज़िंदगी में,
झूठ पर झूठ के मुखौटे चढ़े हैं।
चेहरे और दिल के दरमियां,
फासले अनगिनत अड़े खड़े हैं।
चला कर सच की हवा,
उड़ा दे झूठ के मुखौटे।
बह जाएगा जहर पुते चेहरों से,
बस सच उगलने की जिद होनी चाहिए।
तूफां से घिरी ज़िंदगी में,
कर रखा है हकीकत ने परेशां।
बिकने को बाजार में,
मजबूर हो चला हर एक इंसां।
खुली आंखों से देख तू
सपना बस इंसानियत का ।
होगी सबको रोटी और पीने को पानी,
बस मन में खुद्दारी की जिद होनी चाहिए।
फसादों से घिरी जिंदगी में,
दलाली बनी देश का धंधा।
अट्टहास करता सितमगर,
हो जाता बेबस मसीहा शर्मिंदा।
दे झुका सर अपना,
बस अदब इल्म के आगे।
बरसेगा मेहर का मेह दिलों के सरजमीनों पर,
बस बरसाने की जिद होनी चाहिए।
