चेहरा
चेहरा
कुछ बदले न बदले
लेकिन चेहरे बदल जाते हैं
कोई लाख कोशिश कर ले
कुछ अपने भी बदल जाते हैं
कुछ वक़्त से बदले हैं
कुछ बेवक़्त् बदल जाते हैं
अंदाज़ हैं जख्मों का
अपनो से मिलकर भी उभर आते हैं
मैं चुप रहूंगा तो आंख नम होगी
तेरी शिकायत ज़िंदगी
जाने किस तरह कम होगी
वो भूल बैठे हैं
जिन्हें याद तू करती है
क्यों बेवजह तू अपनी
यह रफ्तार बदलती है
आज नहीं तो कल
यह वक़्त भी बदलेगा
और जब यह बदलेगा
हर चेहरा एक रूप धर लेगा।