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Amit Kumar

Romance Tragedy

4  

Amit Kumar

Romance Tragedy

जो तुमने दिया है....

जो तुमने दिया है....

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310

अब तुम मुझे

पराई सी लगती हो

पहले तुम मुझे

मेरी परछाई सी 

लगती थी

अब तुम मुझे

पराई सी लगती हो

बहुत दर्द मेरा

तुमने अपने 

आग़ोश में 

भर लिया है

कितने ही अंधेरों में

तुमने उजियारा किया है

तुम्ही तो मेरा

गुरुर थी अब तक

मगर अब ये क्या

तुमने किया है

अब तुम मुझे

मेरी 

अधूरी ख़्वाहिश सी

लगती हो

हाँ बहुत देर 

हो गई है शायद

जो मैंने कहा है 

वो तुमने भी 

सुना हो

और कुछ न कुछ

तुमने भी मेरे लिए

ताना बाना बुना हो

मैं भी शायद वही 

बन गया हुँ

जिससे तुमने मुझे

हरसू हरपल बचाया

मगर क्या करूँ

दिल एक जान है

और इसमें अरमान 

बहुत है

इन अरमानों के

अपने पायदान बहुत है

उन पायदानों की

अपनी रंजिशें है

और उन रंजिशों में

जाने कितनी साज़िशें है

मैं चाहता था

तुमको उन साजिशों से

बचाना

अब लग रहा है

मैं था कितना दीवाना

तुम भी तो उन्ही

साज़िशों का ही सिला हो

जो भूले से मुझे

कहीं आ मिला हो

जब दर्द मेरा बढ़ाना था

तुमको

तो एक बार कहना था

हराना है तुमको

जो हारा हो 

दिल तुम पर 

उसके जान हारना 

क्या है

मगर तुम क्या 

समझोगी

तुम्हारा दिल ही

कहाँ है

एक मुस्कान है

जानलेवा सी होठों 

पर

और जाने इस

क़ातिल ने कितने

घर कर दिए

बेघर

इनको लगता है

अब भी इन्होंने

मुझको ठगा है

ऐ खुदा!

इन्हें कभी न पता चले

इन्होंने खुद को ठगा है

हाँ अब ये ठगाई सी 

मुझे

बेवफ़ाई सी लगती हो

मगर तुमने ही कहा था

ग़र याद हो तुमको

पैसे की पहचान 

तुम्हे है

इंसान तुम्हे कोई

मिला ही नहीं

किससे शिकवा शिकायत 

तुम रखों

जब तुम खुद से

कोई गिला ही नहीं

बहुतों को तुमने

फ़रेब दिया है

लेकिन ये भूल गई हो

जो तुमने दिया है

उससे ज़्यादा तुमने

लिया है

स्वार्थ 

झूठ 

लालच

फ़रेब

मक्कारी

अदाकारी

बेईमानी

लूट-खसोट

आदि ये तुम्हारी 

सौगातें है

जो तुमने न जाने

कितनों में और

कहाँ कहाँ बांटे है

इन्ही की वज़ह से

तुम आज भी तन्हा हो

लेकिन तुम्हे क्या ?

तुम जब इस तन्हाई की

आब को 

ताप को

महसूस करोगी

जीते जी तुम

नरक की अग्नि में

जलोगी

तुमने जो भी किया हो

हमने तो भरोसा किया है

और हर बार करेंगे

उस भरोसे पर

तुमको क्या पता

कभी भरोसा हो आये

और यकीनन

वो भरोसा तुम्हे

उस जलने से बचाये

सच्चे दिल से

अपनी ख़ता मान लेना

है खुदाया इनायत

तुम ये जान लेना

मुझे ये इनायत

बेशक़ तुम्हे ये

इनायत बुराई ही

लगती हो

हां अब तुम

मुझे पराई सी

लगती हो.....

  


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