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Amit Kumar

Others

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Amit Kumar

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मेरे शब्द

मेरे शब्द

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मेरे शब्दों को

मौत नही आयेगी

वो ज़िंदा रहेंगें

किसी सी आंखों में

सपने बनकर

किसी के दिल में

लालसा बनकर

वो सजेंगे किसी के

माथे पर

चंदन का टीका बनकर

किसी के लबों से

बोलो की खनक बनकर

वो कबीर के दोहों से

हो सकता है न गाये जाएं

वो प्रेमचंद की कहानियों से

हो सकता है न दोहराये जाएं

वो अमृता की पीर को

हो सकता है न सुना सकें

वो पाश की कविता से

हो सकता है न धुंऐं उठा सकें

फिर भी कोई नज़र तो

उन तक भी आयेगी....

    


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