STORYMIRROR

Amit Kumar

Romance Classics Inspirational

4  

Amit Kumar

Romance Classics Inspirational

तुम चाँद हो सदा...

तुम चाँद हो सदा...

1 min
357


जबसे तुम्हें शांत 

और मौन देखा है

कुछ सहम सा गया हुँ

तुम ऐसे ख़ामोश तो

कभी न हुये थे


तब भी नही जब

मैंने तुमसे तुम्हें मांगने 

की इच्छा ज़ाहिर की थी

बस ज़रा मुस्कुरा सा दिए थे

आज वो मुस्कुराहट जाने 

कहाँ खो सी गई है 


एक बात कहूँ तो शायद

तुम्हें बहुत हैरानी हो

यह शांतपन तुम पर

बोझिल सा प्रतीत होता है

मानो किसी उजाले ने

जानबूझकर अंधियारी रात की

चादर स्वयं पर ओढ़ ली हो

तुम्हें इस चादर को उतार फेंकना ही होगा


यह तुम पर ज़रा भी नही जंचती

या यह कहूँ तुम इसमें समा नही सकते

हमारी बात और है हम साधारण है

सब सहज ही संजोने का

हर भरसक प्रयास सरलहर्दय से

स्वीकार कर लेते है किंतु

तुम अस

ाधारण हो कुछ ख़ास हो


अपनी ख़ासियत का अंदाज़ा तुम

इस बात से लगा सकते हो

जबसे तुम्हारी रातों ने उजालों की 

मुस्कुराहट से मुंह मोड़ा है

हमारी ज़िंदगी मे भी यह

अंधियारी रातें मानो ठहर सी गयी है

अब तुम्हें मुस्कुराना ही होगा

अपने लिए हमेशा मुस्कुराये हो

आज तुम्हारे हमारे जैसे अनगिनत

टिमटिमाते तारों को अपनी चमक से

एक बार फिर ज़िन्दगी बख़्श कर

अपने चाँद होने के 

हुनर को साबित करना होगा


तुम चाँद हो सदा अपनी ही चांदनी में

तुम नहाते रहे हो

 आज किस गुमान में

तुम गुम हो रहे हो ऐ चाँद!

यह चांदनी तुमने किसी से 

उधार नही ली है 


यह तुम्हारी अपनी है सदा से

स्वयं की चमक को पहचानों

और मुस्कुराओ.........


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance