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Supriya Devkar

Romance

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Supriya Devkar

Romance

छोड़ने आया था

छोड़ने आया था

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छोड़ने आया था वो

दिल पे पथ्थर रखके 

चाहता था हमेशा के लिए


जाना मुझसे मुहॅ फेरके

पर ये हो ना सका 

दिल ने नहीं माना 

तुम्हारे मन का 


ये झुठा कहना 

आँगन तक आये थे 

घर को आना पड़ा 

दिल की बात को 

सबको समझाना पड़ा 


आज खुश तुम्हें पाकर 

दिल को तसल्ली होती है 

जिदंगी खुशहाल देखकर 

ठंडक दिल को होती है। 


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