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Supriya Devkar

Romance

4  

Supriya Devkar

Romance

राज

राज

1 min
250


तन्हा तन्हा फिरते थे

जाने किन गलियों में

ढूंढा किया करते थे

साथी फूल और कलियों में


सामने होकर भी तुम

समझना सके बात दिल की

अब हँसकर सोचते है

ये बात है कल परसों की


वो दिन बड़े सुहाने थे

दोनों जाने पहचाने थे

होती थी रोज मुलाकात

बातों के फसाने हुआ करते थे


आँखों से बाते होने लगी

दिल में जाग उठा प्यार

तुम्हारी बाते तुम्हारा गुस्सा

अच्छी लगने लगी तकरार 


नजदीकियाँ अब सताने लगी

दिल का धड़कना वो बार बार

दोनों तरफ प्यार की चिंगारी

तड़पाने लगी आरपार


वो आंखों का काजल ओठों की लाली 

हैरान मुझे कर देती हो

आँखें बंद कर लेता हूँ जब

तुम मुस्कुरा के बोल देती हो


प्यार का असर हमेशा

सर चढ़ कर बोलता है

जब साथ हो दोनों

सारे राज खोलता है 



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