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Supriya Devkar

Romance

4  

Supriya Devkar

Romance

राज

राज

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तन्हा तन्हा फिरते थे

जाने किन गलियों में

ढूंढा किया करते थे

साथी फूल और कलियों में


सामने होकर भी तुम

समझना सके बात दिल की

अब हँसकर सोचते है

ये बात है कल परसों की


वो दिन बड़े सुहाने थे

दोनों जाने पहचाने थे

होती थी रोज मुलाकात

बातों के फसाने हुआ करते थे


आँखों से बाते होने लगी

दिल में जाग उठा प्यार

तुम्हारी बाते तुम्हारा गुस्सा

अच्छी लगने लगी तकरार 


नजदीकियाँ अब सताने लगी

दिल का धड़कना वो बार बार

दोनों तरफ प्यार की चिंगारी

तड़पाने लगी आरपार


वो आंखों का काजल ओठों की लाली 

हैरान मुझे कर देती हो

आँखें बंद कर लेता हूँ जब

तुम मुस्कुरा के बोल देती हो


प्यार का असर हमेशा

सर चढ़ कर बोलता है

जब साथ हो दोनों

सारे राज खोलता है 



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