सपना
सपना
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उम्र के हर पड़ाव पे
कितने अध्याय सीखे
दिल को तसल्ली मिले
ऐसे हजारों सपने देखे
उलझने थी फिर भी
मुस्कुराते रहे हम
दर्द भी कर देता था
चुपके से आँखें नम
हौसला टूटने ना दिया
इम्तहान की थी जब घड़ी
दुश्मनों के इरादों पे हमेशा
रखी नजर हमने कड़ी
अब आए है दिन अच्छे
बटोरता हूं मैं खुशियाँ
उम्र के हर पड़ाव पे
चेहरे पे थी मासूम हंसी