तो क्या हुआ ?
तो क्या हुआ ?
ठीक है दोस्त !
अगर कोई तुम्हें
नापसन्द करता है,
तुम्हारे गुस्से को बेवकूफी
और तुम्हारी सोच को नेगेटिव कहता है
तो कहने दो न !
तुम जानते हो न
ये सब क्यों किया जाता है ?
तुम जानते हो न
की तुम ऐसे क्यों हो ?
फिर भी
अगर कोई तुम्हें पसन्द नहीं करता
तो क्या हुआ
मैं कह्ती हूँ न
मानेंगे तुम्हें ये ही लोग एक दिन
क्योंकि मैं जानती हूँ सच
क्योंकि मैं भी हूँ आधी इन जैसी
आधी तुम जैसी
मुझे तुम्हारे गुस्से के पीछे का दर्द ,
तुम्हारी सोच के पीछे छिपी सच्चाई
साफ दिखाई पड़ती है।
ये लोग जो तुम्हें
सिरे से नकार देते हैं
दरअसल वे अपने नकाब और
अपने समाज के झूठ को बे पर्दा
होते देख बौखला जाते हैं
वे डरते हैं
अपने गिरेबां में झांकने से
जहां कपट,स्वार्थ और घृणा के सिवाय
कुछ भी नहीं।
वे वास्तव में अभागे हैं
वे नहीं जानते कि
देखे जाने और स्वीकारने के बाद ही
चर्चा परिचर्चा कर
हर बात का हल निकल आता है
उन्हें यकीन नहीं है
तुम पर
तुम्हारी सोच पर
पर मुझे है तुम पर तुम जैसे
जुनूनी और सच को देख कर
सच से मूंह न चुराने वालों पर
कुछ कर गुजरने वालों पर।
ये जो लोग
जो तुम्हे आज नापसंद करते है
कल तुम्हारी वजह से ही
अपने आंगन में सुकून को उगता देखेंगे
और यकीन जानो
तब ये ही नहीं इनके सामने
बढ़ती, मुस्कराती और तुम्हारी तरह सोचती
पीढ़ी भी तुम्हे कहेगी
हम शुक्रगुजार है
तुम्हारे
तुम न हारे, तुम न पीछे हटे
न ही तुमने भेद किया
तुम्हारी वजह से ही
हम और हमारा
मुस्तकबिल सलामत है।
सो मत देखो इनको
इनके नफरती अंदाज को
तुम्हे खुद पर कायम रहना है
तुम्हें ये सब बदलना है
अपने जैसे
लोगों के साथ मिलकर
सबके लिए।