हैसियत
हैसियत
कोई
हंसते हुए
गिला कर रहा था
किसी हमराह से
कि यार हम
शायद
बुखार ही थे..
उतर गए।
सुनकर
धक्का सा लगा
हाल कुछ
अपना सा लगा।
होता है न
कभी कभी
ये उटपटांग सी
टपोरी लगने वाली
गैर बातें
जता जाती हैं
अपनी भी
हैसियत
किसी खास की
नजर में।
कोई
हंसते हुए
गिला कर रहा था
किसी हमराह से
कि यार हम
शायद
बुखार ही थे..
उतर गए।
सुनकर
धक्का सा लगा
हाल कुछ
अपना सा लगा।
होता है न
कभी कभी
ये उटपटांग सी
टपोरी लगने वाली
गैर बातें
जता जाती हैं
अपनी भी
हैसियत
किसी खास की
नजर में।