STORYMIRROR

Bhawna Kukreti Pandey

Abstract

3  

Bhawna Kukreti Pandey

Abstract

हैसियत

हैसियत

1 min
189

कोई 

हंसते हुए

गिला कर रहा था

किसी हमराह से

कि यार हम 

शायद

बुखार ही थे..

उतर गए।

सुनकर

धक्का सा लगा

हाल कुछ

अपना सा लगा।

होता है न

कभी कभी

ये उटपटांग सी

टपोरी लगने वाली 

गैर बातें 

जता जाती हैं

अपनी भी

हैसियत

किसी खास की 

नजर में।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract