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Mansi Jain

Abstract

4.4  

Mansi Jain

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जीवन है बस नाम चलने का

जीवन है बस नाम चलने का

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466


बरसात यूँ तोह संग अपने रंग हज़ार लाती है 

जैसे काली बदरा भी इंद्रधनुष से छट जाती है 

पर जब यही बरसात का जीवनदायी

जल काफी समय तक एक जगह रुक जाता है 


निर्मल से वह बेदल हो जाता है 

बस ऐसे ही कुदरत भी

सीख हमें जीवन की दे जाती है 

प्रलय होने के बाद भी रुकना नहीं

जीवन में आगे बढ़ना हमें सीखाती है 


क्या उन माताओं की पीड़ा से भी

बढ़कर तुम्हारी पीड़ा है क्या 

जो हँसते रोते तिरंगा अपने

शहीद पुत्र के तन पर उड़ाती है 


क्या उन निर्दोष विधवाओं का दोष है 

जो फक्र से अपने शहीद हमनवा

को न्योछावर कर जाती हैं 

जीवन है बस नाम चलने का 


हर स्थिति में तपकर निखारने का 

है मुसाफिर तुम रुक जाना नहीं 

जीवन है बस नाम चलने का 

हर स्थिति में तपकर निखारने का। 


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