बाजार
बाजार
ये बाजार है जनाब रंगो का
यहाँ सपनो से अंगो तक सब बिकता है,
ये बाजार है बाबू मेमो का
यहाँ रक्त से वक़्त तक सब कुछ बिकता है,
तुमने भी बेच दी बांधनी मेरी प्रीत की
इस रीत रस्मो धर्म के बाजार में ,
बिकाऊ सपने हुए हमारे
इस बाजार की चकाचौंध में,
तुमसे हो इस लम्हा शिकायत करने का दुःसाहस करती हूँ
बिकने की बजाये विष खाती उस मीरा का पथ इख्तयार करती हूँ,
तुम बेशक मुझको रुक्मणी का दर्जा न देना
पर तुम्हारे चरणों की धूल में मीरा बनना स्वीकार करती हूँ,
ये बाजार है जनाब रंगो का
यहाँ सपनो से अंगो तक सब बिकता है,
ये बाजार है बाबू मेमो का
यहाँ रक्त से वक़्त तक सब कुछ बिकता है।