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Mansi Jain

Tragedy

4.8  

Mansi Jain

Tragedy

श्याम की गलती क्यों दोहरातेहो

श्याम की गलती क्यों दोहरातेहो

1 min
335


एक संवाद है श्रोताओं तुम्हें सुनाती हूँ 

जो पीड़ा मीरा दीवानी ने भोगी 

उसका कलयुग दर्पण दिखाती हूँ, 

श्याम से सँवारे मन के बाँवरे से 

जो प्रीत जोड़ी अल्हड़ दीवानी ने 

फिर बखान उनकी विदाई का सुनाती हूँ, 

एक आंख में अश्रु तो एक में लौ क्रोध की वो प्रियतम को दिखती है 

है प्रेम तुम्हें मुझसे तो सुहागन किसी और को क्यों बनाते हो, 

जब हूँ मैं तुम्हारी राधा तो श्याम की तरह गलती क्यों दोहराते हो? 

जो कहते हो तुम हर्फ़ मजबूर हो 

सामाजिक बेडियो में चकना चूर हो,

जब हूँ मैं तुम्हारी राधा तो श्याम की तरह गलती क्यों दोहराते हो?

है जो छुआ तुमने मुझे वो एहसास भी झूठ था क्या 

पर इस कारण से तुम्हे रोकना ना चाहती हूँ,

जब हूँ मैं तुम्हारी राधा तो श्याम की तरह गलती क्यों दोहराते हो? 

हे कलयुग के मर्यादा पुरुषोत्तम तुमसे बस न्याय की गुहार लगाती हूँ 

जब हूँ मैं तुम्हारी राधा तो श्याम की तरह गलती क्यों दोहराते हो 

भर मांग मेरी क्यों इस जोगन को सुहागन नहीं बनाते हो। 


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