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आनन्द मिश्र

Tragedy

5.0  

आनन्द मिश्र

Tragedy

द्रुतगामी सड़क

द्रुतगामी सड़क

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545



सड़क काली हो या भूरी

जहां से भी निकलती है

स्याह कर देती है 

इतिहास को

और भर देती है

तसव्वुर के अनन्त रंग।


अभी पाॅंच ही दिन हुए थे

बीमार मग्गू को दफ़न किए

तभी लेखपाल ने अपने लश्कर के साथ

सदा के लिए सोए मग्गू 

के सिरहाने की तरफ गाड़ दिए 

बड़ा सा खूॅंटा

जहां से होकर अब निकलेगी

द्रुतगामी नई सड़क 


थोड़ी ही दूरी पर, 

सैंकड़ों वर्ष पुरानी जमीनदोज इंसानी बस्ती 

जहां कुछ ही दिन पहले 

दफ़न हुए थे मग्गू 

जिसे बचाने के लिए, 

वीरान में 

क़त्ल किया जा रहा था 

अकेला बरगद 

जो विशाल गोलाकार, छतरी नुमा 

तीन पंचायतों की जमीन पर फैला था 

अब उसे बांटकर काट डाला

पंचायतों ने


अब वहां पसरा था

कटी हुई डालें

जिससे रिस रहा था दूध

और कलेजा चीड़ती अनगिनत चिड़ियों का क्रंदन

जो ढूंढ रही थी अपने - अपने अंडे एवं बच्चें

जो फूट कर बिखरे थे ज़मीन पर

जिसे नोच रहे थे चींटे एवं चींटियां 


ये काली, ऊंची सड़क

आतताइयों की तरह खुद को तैयार करने में नजाने कितने जीवों और उनकी बस्तियों को रौंद दिया होगा!


आखिर क्या किया था उन्होंने 

जो नेस्तनाबूद कर दिया गया उनके घरौंदों को

जो उनका पुश्तैनी था


अब वे सभी किस डाल पर जाएगी

विस्थापित होकर

अब मोर कहां पर बचाएगा

भीगने से

लम्बे पंखों को

उत्तर दिशा से आनेवाले चम्गादड़ 

अब कहां खाएंगे गोदा

अब कहां जाएंगे चरवाहे 

छांव ढूंढने

और कहां जाएंगे उनके बच्चे

जो खेलते थे डालों पर लखनी


यह कोई आम सड़क नहीं

यह एक नई सड़क है

यह वह सड़क है

जिसपर से सरपट 

निकल जाएंगे शाह -ए-राह

अपनी राजधानी के लिए


यद्यपि कि, यह सड़क बनी है किसानों की पैतृक माटी पर

जो खुश थे मोटा मूल्य पाकर

वे अब, मजदूर हो गए हैं

अब वे कहां जाएंगे ?


अब वे जरूर जाएंगे !

इसी शाह-ए-राह पर चढ़कर

राजधानी की तरफ

मजदूरी का

अपना हक मांगने


और तब आएंगीं

बड़ी-बड़ी कम्पनियां

जो फिर बनाएंगी 

कुछ और किसानों को

मजदूर


अब बनेंगी बस्तियां

और बिकेगा 

मकान और दुकान

दुकान में बिकेगा 

कम्पनियों में बने

दाल, चावल, ब्रेड, जेली, पापड़, शराब और बहुत कुछ


अब सबकुछ आधुनिक होगा

अब आदमी का सहयोगी आदमी नहीं

कम्पनी होगा

और अब ख़बरों में क़र्ज़ के बोझ तले दब कर लटकने वाला

कोई किसान नहीं

मजदूर होगा

जिसकी अब कोई अपनी जमीन नहीं।।

                   


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