तुम मेरी वीणा
तुम मेरी वीणा
रिश्तों की डोर फिर से उलझे
वीणा की धुन फिर से बिगड़े
ना जाने तुम ने क्या किया जादू
सारी फिजाएं फिर से मचले
बादल को छिपा लेता है वह मौसम
जिसमें तेरी बेचैनी फिर से सिमटे
आज आग लगा है उस जंगल में
जहां पर तुम्हारी मासूमियत चमके
कर्फ्यू सा माहौल है आसपास
लगता है फिर से तुम आज हंसे।
