क्या दिन थे वो
क्या दिन थे वो
आ गया कैसा समय,
हर जगह सिर्फ चिंता और भय।
न निकल सकते घर से बाहर,
दुनिया दे रही मदद की गुहार।
अरे, कैसे भूल जाए दोस्तों को,
कैसे भूलें उन स्कूल के रास्तों को।
सच में स्कुल तो कमाल था,
हर रोज कुछ न कुछ नया धमाल था।
जब भी मैं दोस्तों से नाराज था,
पर, क्या कहूँ, सब का अलग अंदाज़ था।
लेकिन याद नहीं आई मुझे किसी की,
क्योंकि भूल जाते हैं जिन्हें,
याद आती है उन्हीं की।
जब स्कूल जाता था,
कि आज छुट्टी हो जाए,
पर दुआ है मेरी भगवान से
कि ऐसा समय कभी न आए।
इस कविता को मैंने
कहीं से नहीं लिया
बस जो मन में था,
सब लिख दिया।