मेरी धड़कन रोम रोम साँसों पर जिसका कर्ज़ा है भगवान उसे कैसे लिख दूँ , भगवान से ऊँचा दर्ज़ा है मेरी धड़कन रोम रोम साँसों पर जिसका कर्ज़ा है भगवान उसे कैसे लिख दूँ , भगवान से ऊँच...
वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है। ये सब बड़े आश्चर्य की बात हैं ! वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है। ये सब बड़े आश्चर्य की बात हैं !
सरकारों को भी उठा सकते हैं ! सरकारों को भी उठा सकते हैं !
कल्पना ही स्त्री का सौंदर्य है कल्पना ही इस शरीर में जान है, कल्पना ही मस्तिष्क का ज्ञान है, ये कल्प... कल्पना ही स्त्री का सौंदर्य है कल्पना ही इस शरीर में जान है, कल्पना ही मस्तिष्क ...
और वो शाम एक सुनहरी शाम हो गयी मेरे लिए। और वो शाम एक सुनहरी शाम हो गयी मेरे लिए।
फल और कंद-मूल खाकर ही तो जिन्दा था। फल और कंद-मूल खाकर ही तो जिन्दा था।