माओवादी नहीं हूँ
माओवादी नहीं हूँ
मैं खेत में
खलिहान में
काम करता हूँ
ईंट भट्टा में
क्रेशर मशीनों में
काम कर पेट भरता हूँ।
तुम्हारी भाषा मुझे आती नहीं
देह की रंग मेरा अलग है
इसलिए तुमने
माओवादी करार दिया
आतंकवादी, चोर वगरह
कहकर प्रताड़ित किया
मैं जंगलों-पहाड़ों में
फूटा छज्जा,पुआल के झोपडी में
रहता हूँ।
मैं माओवादी नहीं हूँ
आतंकवादी का अर्थ
मुझे मालूम नहीं
और चोरी तो
खून में ही नहीं है
तुम्हारी नजर में मैं यदि माओवादी हूँ
तो ‘राम ‘कैसे भगवान हुआ ?
वह भी तो जंगल में ही घर बनाया था
फल और कंद-मूल खाकर ही तो जिन्दा था।
