वक्त बदलेगा जरूर
वक्त बदलेगा जरूर
प्रारम्भ होता विनाश समय जब
संयम खोती वाणी
साथ छोड़ते सगे-संबंधी, अहम में भरता प्राणी।।
सभी को मेरी जरूरत रहेगी
मुझ सा नहीं कोई दानी
किसी की जरूरत नहीं है मुझको, वहम में आता प्राणी।।
जिसने जीता मन किसी का
हो, मन-मंदिर का स्वामी
बुरे दिनों से गुजरना पड़ता, आयें, अच्छे दिन भी प्राणी ।।
अधिकार नहीं है जिस पर तेरा
क्यों, मोह में पड़ा अज्ञानी
जीवन होता कठपुतली जैसा, नाचता रहता प्राणी।।
फिर, लौट के आता वही सब
किया कर्म जो ध्यानी
अच्छा किया तो अच्छा मिलेगा, नहीं तो, नर्क सी जिंदगी पानी।।
क्रोध अवस्था भ्रम अवस्था
हो, बुद्धि भ्रष्ट, अभिमानी
पतन की क्रिया शुरू है, होती, मिट्टी में मिलता प्राणी।।
डरने से अच्छा सामना करो तुम
चाहे, मुंह की पड़े तुम्हें खानी
जीतेगा तो मान बढ़ेगा, नहीं तो, अनुभव मिलेगा प्राणी।।
सजा देते है अपने कर्म ही
याद, अपनी करनी न आनी
कष्ट मिलता संघर्षशील को, लक्ष्मी, आलसी के पास न जानी।।
आगे बढ़ता महत्वाकांक्षी
बाधा, ईर्ष्या, द्वेष ने डाली
मंजिल तो वो छू के रहेगा, जिसने कुछ बनने की ठानी।।
गुप्त भेद सदा गुप्त ही रखना
नहीं तो, जग हसाई करानी
जीवन भर का पछतावा रहेगा, न शांति कभी मिल पानी।।