चिंता से आज़ादी
चिंता से आज़ादी
एक ज़रूरी आज़ादी है
चिंता से आज़ादी
मन करता सबको बतलाऊँ
क्या करतीं थी मेरी दादी
उनको चिंता सबसे ज़्यादा
मेरे पापा की रहती थी
उनको कुछ न हो जाए
प्रार्थना सदा करती थीं
भगवद्गीता का पाठ सदा
सुबह शाम किया करतीं
एकादशी को हर बार ही
निर्जल व्रत किया करतीं
घर में टसल न हो जाए
व्यस्त इसीलिए रहती थीं
अक्सर देखता था उनको
सिलाई बुनाई वो करतीं थीं
यूँ आसानी से चिंता न हो
ये दर्शन सिखलाया था
व्यस्त रहें या भक्ति करें
हमको ये बतलाया था
उम्र के इस पड़ाव पर
उनकी बात है याद आई
कारगर तरीका है ये
आप भी अपना लो भाई।
