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SUNIL JI GARG

Romance

4  

SUNIL JI GARG

Romance

संगत

संगत

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गीतों को मेरे सरगम बना दो 

सरगम बना के सुरों में सजा दो 

सुरों में सजा के मन में बसा दो 

मन में बसा के धड़कन बना दो 


तुम आवाज देकर बुला लो मुझको 

संगत से ही सुन्दरता बनेगी 

ये फूलों की बातें सुन लो बता दो 

गुपचुप इशारे हवा में उड़ा दो 

हवा में उड़ा के ज़रा मुस्करा दो 

ज़रा मुस्कुरा के फसाना बना दो 


तुम नज़रें ज़रा धीरे धीरे उठाना 

यही लय तो सुर में है रंग भरती

यूँ तस्वीर धीरे धीरे बना दो 

होंठों पे सबके ये गीत सजा दो 

हर एक दिल में प्यार की ज्योति जगा दो 

रौशनी से इसकी चेहरे खिला दो 


अभी पूछता हूँ तुमसे क्या मानोगी मेरा

तुम्हारी मर्ज़ी पहले से मुझको पता है 

वैसे कुछ अधरों से अपने बता दो 

मेरे कहे का कुछ तो सिला दो 

मेरे गीतों में नए रंग भर दो 

कशिश में रहूँ मैं ऐसी ही सजा दो 



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