Naveen Singh

Romance

3.9  

Naveen Singh

Romance

रोक लेता हू नींद अपनी

रोक लेता हू नींद अपनी

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रोक लेता हूँ नींद अपना

उससे बात करने के इंतजार में

और वो चुपचाप सो जाती है

अपने सपनों की बहार में


मैं जागता रहता हूँ रातभर

जैसे उल्लू बैठे रहते है कतार में 

सोचता हूँ कभी उसे भी महसूस हो 

कोई जग रहा है रात भर

उसके इंतजार में


कभी तो महसूस कर वो आए

बातों के बाजार में

पर ऐसा कुछ नहीं होता है 

होता है तो बस,

मैं रातभर जगा रहता हूँ 

उसके इंतजार में


और वो चुपचाप सो जाती है 

अपने सपनों की बहार में

वो हमेशा अपना दुख दर्द सुनाती है 

And i wish कि कभी पुछ लेती 

कैसे हो ?


क्या ये दुख दर्द 

मेरे पास नहीं आते हैं

थोड़ा सा भी डांट दो तो बह जाती है 

आंसुओं के धार में


अब उसे कैसे समझाऊँ

मैं तो रो भी नहीं सकता

लड़का हूँ न allowed नहींं है

आजकल के बाजार में।


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