मैं और माँ
मैं और माँ


आज 7 महीने हो गए घर गये हुए। और लगभग एक हफ्ते बाद माँ से बात कर रहा था।
तो माँ ने वही पुराना सवाल पूछ लिया, "बेटा घर कब आओगे ..?"
मैं थोड़ा सा शरारत के मूड में था, मैंने एक शायरी मार दिया..
क्या करूँगा घर आकर माँ
आप फिर से मुझे काम पकड़ा दोगी
घर का नौकर बना दोगी
बोलोगी, मकड़ी के जाले दो निकाल
बाथरूम भी कर दो साफ
और ये सोफा देना छत पर डाल ।
मैंने शायरी तो मार दिया पर ये भूल गया कि
जैसे बाप बाप होता है वैसे ही माँ, माँ होती है।
थोड़ी देर माँ चुप रही फिर बोली
बेटा तू खुश रह
यही मेरी दुआ है
सही सलामत रह
तू धरती पर जहाँ है
आजकल तू बहुत बोलने लगा है
तू घर आ जा
मैं ढूंढती हूँ, मेरी चप्पल कहा है।
अब इतना सुनने के बाद फ्लाइंग चप्पल का याद आ गया मुझे।
अब सोच रहा हूँ, घर जाऊँ या ना जाऊँ..???