नैनीताल यात्रा
नैनीताल यात्रा
छुक छुक करके अपनी गाड़ी
अब पहुँच गयी थी काठगोदाम
वैदर यहाँ हुआ कुछ ठंडा सा
स्वेटर बिना न चलता था काम
टैक्सी आकर द्वार खड़े थे दाजु भाई
अब चढ़ाई चढ़ने की कर ली तैयारी
था सपनों सी मनोरम झील तक जाना
नगरी भैया नैनीताल था मंजिल हमारी
चील चक्कर मोड़ों से गुजरी गाड़ी
घाटी में झाँको तो लगता था डर
किसी तरह दो घंटे में रुकते रुकाते
देवदार, चीड़ों के बीच से पहुँचे ऊपर
पहला दर्शन स्वर्ग सा, दिखी सुन्दर झील
मन किया, होटल जाने से पहले लें घूम
मौसम आधी धूप, आधी बदली वाला सा
तुरंत उतारी अच्छी सी फोटो करके ज़ूम
चलाचल होटल पहुँचे नैना पीक के नीचे
जल्द तैयार होकर चले करने हिमालय दर्शन
ट्राली से गए स्नो व्यू, बड़ी वाली दूरबीन देखी
मैगी खाई, हो गया प्रफुल्लित अपना मन
उतारकर सीधे फ्लैट पर आये भोटिया बाज़ार
नैना देवी मंदिर के दर्शन कर मांगी मन्नत
बोटिंग वाले से कहा चलो पूरी झील का राउंड
क्या नज़ारे थे चारों तरफ, लगा आ गए जन्नत
थक गए बहुत फिर, कर लिया रिक्शा
शेर ए पंजाब गए, खाना खाने माल रोड
फिर अगली मंजिल थी हिमालयन चिड़ियाघर
पैदल वहाँ काफी था चलना, पड़ा अपुन पे लोड
थककर होटल पहुँचे खाना खाया लमलेटे
अगले दिन हनुमानगढ़ी हमको था जाना
फिर किसी ने बतलाया, उधर जा रहे तो
ऑब्जर्वेटरी भी जरा घूमकर तो आना
अपने राम अब काफी कुछ घूम लिया
चलो भैया यात्रा अच्छी थी हो गयी पूरी
पर्वतों का राजा नैनीताल ये याद रहेगा
फिर से आयेंगे, वक़्त ने दी अगर मंज़ूरी।