हाय हाय ये महंगाई
हाय हाय ये महंगाई
हाय हाय ये महंगाई। मेरी जान फंद में आयी ।
ना दिखे कोई सहारो, आमदनी कम खर्चा ज्यादा, कैसे होय गुजारो।
रात दिना मेहनत कर कर के मैं तो थक हारों हूँ।
हो गई सगरी जेब ही खाली, तेजी ने मारो हूँ।
राशन भर भर के घर में, मेरे सर पे चढ़ो उधारो।
आमदनी कम खर्चा ज्यादा, कैसे होय गुजारो।
हाय हाय ये महंगाई। मेरी जान फंद में आयी ।
एक तो कम तनख्वाह है मेरी उस पे कुनबा भारी।
मिल गयी है खर्चीली बीवी जैसे बी पी की बीमारी ।
तंगहाली में गुजर हो कैसे, सोच चढ़े मोय पारो।
आमदनी कम खर्चा ज्यादा, कैसे होय गुजारो।
हाय हाय ये महंगाई। मेरी जान फंद में आयी ।
आते याद पुराने दिन वो माँ का एक रुप्पैया।
हाट से थैला भर राशन, लाते थे मैं और भैय्या।
अब थैला भर पैसा में, बच्चों का न आवै नारो ।
आमदनी कम खर्चा ज्यादा, कैसे होय गुजारो।
हाय हाय ये महंगाई। मेरी जान फंद में आयी ।
