नेताजी
नेताजी
नेताजी की शेरवानी
के बटन होल में
एक गुलाब महक रहा था
मदमाते यौवन में बौराया
एक भौंरा पहले तो फूल पर मंडराया
फिर नेताजी के कान के आसपास भन्नाया
अपनी व्यथा कथा रो रो गाया
नेताजी चिल्लाए संतरी यह क्या है ?
हमारी सुरक्षा का कोई इंतजाम किया
इंटेलिजेंस ने कभी कोई ढंग का काम किया ?
इतना सा जीव और इतनी हिम्मत
संतरी बोला हुकुम हों तो इसे
वापस गुलाब पर बिठा दिया जाय
मन्त्री बोले क्या बकता है ?
हम तुम्हारा ट्रांसफर कर देंगे
तिकड़म लगेगी नहीं वहाँ से
प्रमोशन होगा नहीं आगे से
समझे /क्या समझे?कड़क कर बोले
फिर आवाज में लोच लाकर बोले
नहीं समझे
खैर कोई बात नहीं मैं राजनीतिज्ञ हूँ
राजनीति से काम लूँगा
राजनीति का मूलमंत्र इसके कान में फूंक दूँगा
बोले भौरें से क्यों चिल्लाते हो
देखो मैं तुम्हारे लिए गुलाब का बाग लगाऊंगा
पीले काले सफ़ेद सूर्ख गुलाब लगाऊंगा
और तुम्हें उस बाग का शहंशाह बनाऊंगा
सारे गुलाब तुम्हारे होंगे
वे खिलेंगे, वे महकेंगे
लेकिन सिर्फ तुम्हारे लिए
भौंरे पर आश्वासन का असर हुआ
असर होते देख मन्त्री ने अपनी जेब की ओर इशारा किया
भौंरे ने एक चक्कर गुलाब का लगाया
अपने मन को भरमाया
और फिर सीधा मन्त्री की जेब में
आकर बैठ गया वोट की तरह.