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Aman Sinha

Comedy

4.0  

Aman Sinha

Comedy

यम का ग़म

यम का ग़म

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भैसे पर बैठे हुए आ धमके यमराज

बोले बच्चा खत्म हुए सकल तुम्हारे काज

अपने सभी परिजन को देख ले आखरी बार

यामलोक तू जाने को अब हो जा तैयार


वो बोली मैं बस चलती हूँ काम पड़े है चार

कपडे, बर्तन बाकि है धर दूँ मैं आचार

रसोई अभी तक हुई नहीं नहीं बना आहार

कैसे अभी मैं चल पडूँ,छोड़ के ये घरबार


बोले यम, घर बार से मुझे गरज है क्या

छोड़ के अपने तार सब संग मेरे आजा

एक बार जो आ गया न लौटू खाली हाथ

तुझको तो इसबार ही चलना होगा साथ


बच्चे अभी स्कूल है पति गए विदेश

सास ससुर भूखे रहे, अभी ना धोए केश

बिछावन बिछी नहीं सबको लगे कलेश

साथ चलूंगी एक बार कर लूँ काम शेष


अभी-अभी भिंगोया था कल के लिए बादाम

कैसे गल जाने दूँ उसको बहुत बढ़े है दाम

छः घंटे में कर लूंगी मैं सारे काम तमाम

लौट के तुम चले आना जब हो जाए शाम 


ध्यान रहे आते

तुम्हे तनिक ना होवे देर

सो गयी तो मिलूंगी तुमको अगले रोज़ सवेर

दस बजे कर देते है हम दरवाज़े को बंद

कुत्ते से हो जाएगी तब फिर तुम्हारी जंग


या फिर तुम यही ठहरो कर लेने दो काम

साथ तुम्हारे ले जाना जब मुझे मिले आराम

पर तबतक ना जाऊँगी कही तुम्हारे संग

यमी को बता दूँगी मैं तुम्हारे सारे रंग  


सुनकर नाम यमी का यम को आया याद

आज तो ऐतवार है लंच करना था साथ

ऊपर देखा चढ़ा हुआ सूरज बीच आकाश

आज तो यम का हो गया पूरा पर्दा फाश


छोड़ के उसके प्राण को यम भागे उलटे पाँव

भैसे से कहने लगे कभी ना लाना इस गांव

मेरा जीवन कट जाएगा पूरा न होगा इसका काम

इसको ना मिल पाएगा एक पल क अभी आराम


मैं कैसे जा पाऊँगा इसको लेकर अपने साथ

इसके काम में बटाना होगा अब मुझको भी हाथ

पता चला जो यमी को कर देगी मेरा त्याग

फेक देगी यमलोक से मार के मुझको लात।


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