बहन तुम मुझे इस बार राखी न बांधना
बहन तुम मुझे इस बार राखी न बांधना
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जन्म लेकर साथ तुम मेरे पली थी
भेदभावों के समन्दर में वहीं थीं
में पला नाजों से लेकिन तुम नहीं
कौन कहता पीर मन की अनकहीं
पूज्या कहकर लड़कियों की कैसी साधना
बहन तुम मुझे इस बार राखी न बांधना|1|
मैं पढ़ा, लेकिन रही तुम अनपढ़ी
मैं खड़ा आगे रही तुम पीछे बढ़ी
मैंने जो भी माँगा वो मुझे मिला
लेकिन तुमसे ये कैसा सिला
चंचला तुम आगे से लड़की होना न मांगना
बहन तुम मुझे इस बार राखी न बांधना |2|
मैंने महसूस की थी तुम्हारी मजबूरी
हर ख्वाहिश रहती थी तुम्हारी अधूरी
मेरी शादी में जितना लेना चाहते थे
तुम्हारी शादी में उतना देना चाहते थे
लेकिन मेरी तरह तुम्हारी मर्जी क्यों न पूछना
बहन तुम मुझे इस बार राखी न बांधना |3|