जादू टी 30 का
जादू टी 30 का
टी 30 इक खेल नया है
लिखो कुछ भी तीस दिन
जादू जीवन में जग जाएगा
इनाम मिलेंगे सबको गिन
ऐसा जादू चले साल भर
मोहित हर कोई लेखक होगा
अच्छा लिखने वाला ही तो
पाठक का सच्चा सेवक होगा
स्वांतः सुखाय, परांतः सूखाय
सब कुछ लिखना धर्म है
ज़्यादा से ज़्यादा लिख कर देना
लेखक का एकमात्र कर्म है
अब दस दिन हो गए जादू ये
सर पर चढ़कर सबके बोलता
धीरे धीरे नशा बढ़ रहा है
देखें कौन कौन नए राज़ खोलता।