जहाँ मुँडेरों से आती थी, कौवों की नित काँव। सारे जग में जहाँ मुँडेरों से आती थी, कौवों की नित काँव। सारे जग में
जो समझ ले इसको वो अपनो से दूर नहीं होते हैं ।। जो समझ ले इसको वो अपनो से दूर नहीं होते हैं ।।
सबके मन में सवालों का तूफान था नया सफर कैसा होगा हर कोई इससे अनजान था सबके मन में सवालों का तूफान था नया सफर कैसा होगा हर कोई इससे अनजान था
कैसा दिवस मना रहे आज किस स्वाधीनता की कर रहे हैं बात। कैसा दिवस मना रहे आज किस स्वाधीनता की कर रहे हैं बात।
This is realization that everyone in this competitive world faces!! This is realization that everyone in this competitive world faces!!
हिंदी के साथ नाता तो बचपन से जुड़ा है अब उस नाते को निभाना जरूरी है। हिंदी के साथ नाता तो बचपन से जुड़ा है अब उस नाते को निभाना जरूरी है।