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मिली साहा

Comedy

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मिली साहा

Comedy

पत्नी जी और सुपर पावर

पत्नी जी और सुपर पावर

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एक तो पहले से ही पूरे घर पे चलती थी पत्नी जी की पावर,

ऊपर से जाने कहांँ से मिल गया उसे वरदान में सुपर पावर।


आ गई ऐसी दिव्य शक्ति उसमें ऑफिस तक नज़र रखती है,

घर पर बैठे-बैठे ही बिना किसी गलती दो चपत लगा देती है।


टिफिन में देती जो लौकी, टिंडा, पहले तो फेंक भी देता था,

इडली डोसा छोले भटूरे खाकर डकार मार लिया करता था।


अब तो हिम्मत नहीं होती, डर से गले में अटक जाती लौकी,

मन ही मन सोचता, काश इस खाने की कर ले कोई डकैती।


पर पत्नी जी को तो मेरी सोच की भी हो जाती है जानकारी,

अदृश्य होकर आ जाती ऑफ़िस खिला देती है लौकी सारी।


पेट बिचारा होकर लाचार, भर जाता बेमन के उस खाने से, 

सुपर पावर जब से मिला पत्नी जी को डर लगे घर जाने से।


पर ना भी जाऊंँगा तो अपनी पावर से खींच कर ले जाएगी,

जहांँ चार दिन खिलाती है लोकी, टिंडा पूरे हफ़्ते खिलाएगी।


अपनी सुपर पावर से कर सकती झटपट घर के सारे काम,

पर फिर भी मुझे कोल्हू का बैल बनाती खुद करती आराम।


यह बात समझ में ना आई, कर बैठा मैं, पत्नी जी से सवाल,

पत्नी जी ने घूर कर देखा ऐसे डरकर हो गया मेरा बुरा हाल।


तभी सहसा पत्नी जी ने चुटकी बजाई, बदली अपनी चाल,

चलो इतना ही पूछ रहे हो तो बताती हूंँ, क्या इसमें कमाल।


ये सुपर पावर मिली है मुझको अपना काम बखूबी करती हूँ,

पहले तुम करते थे काम चोरी अब पूरी तरह नज़र रखती हूँ।


कल की बात, झाड़ू लगाते लगाते पड़ोसन से बतिया रहे थे,

और पड़ोस वाली शर्माइन को कटोरा भरकर चीनी दे रहे थे।


अब समझ आया हफ्ते की, पाँच किलो चीनी कहांँ जाती है,

चीनी के बदले रोज छोले पूरी की डकार जो लगाई जाती है।


और घर के आलू, प्याज,चायपत्ती गुप्ताइन को बांँट आते हो,

बदले में लिट्टी चोखा, पराठा बड़े ही मजे से खाकर आते हो।


पत्नी जी खोलती जा रही थी, एक-एक कर मेरी पोल सारी,

पैरों के नीचे खिसक रही ज़मीन, भागने की कर रहा तैयारी,


सुपर पावर पत्नी जी बोली क्या हुआ और कुछ नहीं सुनना,

करोगे अपने काम सारे वक्त पर, या और कुछ भी है कहना।


सर पर पैर रखकर भागा वहांँ से बाप रे ये कैसी सुपर पावर,

पत्नी जी से कौन जीत सकेगा भाई, कलेक्टर हो या शायर।


हे ईश्वर बस इतना है कहना, ऐसी सुपर पावर इनको न देना,

गर देना भी तो, हम पतियों पर थोड़ा, रहम ज़रूर कर देना।



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