STORYMIRROR

मिली साहा

Others

4.5  

मिली साहा

Others

कितने ख़ूबसूरत पल थे वो

कितने ख़ूबसूरत पल थे वो

1 min
271


कई अजनबी तेरी राह के मेरे पास से यूंँ गुज़र गए,

कहना चाहा बहुत कुछ पर मेरे लफ्ज़ ही मुझसे मुकर गए,


तेरी यादों को दिल के तहखाने में बंद कर दिया था मैंने,

तेरे एहसास की खुशबू से फिर पलकों में आकर ठहर गए,


बढ़ चुके थे आगे ज़िंदगी में सीख लिया था जीना तेरे बगैर,

खुला जो यादों का दरवाज़ा बीते लम्हें ज़हन में आकर संवर गए,


कितने ख़ूबसूरत पल थे वो जो साथ तुम्हारे बीते थे,

क्या कमी थी मेरी मोहब्बत में जो तुम कसमों वादों से मुकर गए


रेत की तरह फिसल गया सब कुछ दिल की गलियांँ वीरान हुई,

तुमने एक बार भी मुड़कर नहीं देखा इंतजार के कितने पहर गए।



Rate this content
Log in