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मिली साहा

Abstract Inspirational

4.5  

मिली साहा

Abstract Inspirational

कुछ तारीखें

कुछ तारीखें

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कुछ तारीखें बस 

दर्द ही तो दे जाती हैं

करते नहीं यादों में शामिल 

फिर भी याद आ ही जाती हैं।


भूलने की कोशिश करें कितना भी

कोई ना कोई वाक्या हो जाता है ऐसा 

कि वो तारीखें कतरा-कतरा हमें रुलाती हैं।


मानों किस्मत की लकीरों में वो तारीख 

एक लकीर बन हमारी ज़िन्दगी के इर्द-गिर्द

हर लम्हें में शामिल होने की कोशिश करती है।


बिखेरकर हमारे ज़िन्दगी की 

छोटी-छोटी खुशियों को वो तारीख 

नासूर बन जीवन भर बस घाव ही देती है।


हर लम्हा हर घड़ी किसी खंजर की तरह 

चुभकर हमारे मन में हमारे अस्तित्व को मिटाकर 

हमारे हृदय हमारे मन को बार-बार तार-तार करती है।


दर्द की इन तारीखों को भुला देना ही है सही 

माना आसान नहीं होता भूलाना इन तारीखों को 

पर खुद के लिए एक कोशिश तो की ही जा सकती है।


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