ये दायरे तेरी यादों के
ये दायरे तेरी यादों के


ये दायरे तेरी यादों के, पल -पल बढ़ते जा रहे हैं,
हम तेरे एहसासों में हर लम्हा सिमटते जा रहे हैं,
कोई सुध नहीं है इस दुनिया की हमें,हम तो बस,
तुम्हें ही महसूस करते हैं,तुम्हें ही सुनते जा रहे हैं,
तुम बिन ज़िन्दगी का एक पल भी जीना है दुश्वार,
पर तेरी यादों के सहारे ही ये दिन बीतते जा रहे हैं,
जाने कब होगी मुकम्मल मोहब्बत की ये दास्तान,
इंतजार के इन लम्हों में हम भी लिपटते जा रहे हैं,
इंतेहा हो गई कब तक सजाएं यादों की महफ़िल,
तुझे कतरा-कतरा याद कर अश्क पीते जा रहे हैं।