आंँख भर आई
आंँख भर आई
आँख भर आई जो पुरानी यादों से आज मुलाकात हुई,
भूल चुके थे जो ख़ूबसूरत पल उनकी आज बरसात हुई,
वो बचपन का खिलौना, वो दोस्तों के साथ मस्ती करना,
आँखों के बंद पटल पर आज मानों तारों की बारात आई,
बीते किस्सों की तस्वीर सुहानी, लगे हकीकत की कहानी,
यादों की इस महफ़िल में रंग बिखेरने पूरी कायनात आई,
माँ की ममता भरी लोरी की गुनगुनाहट, दे रही है आहट,
माँ की गोद का एहसास दिलाने वो बचपन की रात आई,
पूरे जहां की खुशियाँ आज कर रही है मानो विचरण यहाँ,
बीता ज़माना सामने क्या आया खुशियों की सौगात आई।