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Ajay Prasad

Abstract

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Ajay Prasad

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मोहताज नहीं

मोहताज नहीं

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किसी तारीफ़ का हूँ मै मोहताज नहीं

लोग करेंगे कल ज़रूर,भले आज नहीं ।


नयी सोंच अपनाने में वक़्त तो लगता है

यकमुश्त ही बदलते रशमों रिवाज़ नहीं ।


जाने कितने फनकार गुजरे गुमनाम ही

झेल सका जिनको कभी ये समाज नहीं ।


अंजाम मोहब्बत का था इल्म पहले ही

आरज़ू तो की मगर किया आगाज नहीं


कितने मतलबपरस्त हो तुम भी अजय

अपनी गज़लों पर किया कभी नाज़ नहीं



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