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Mistry Surendra Kumar

Abstract

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Mistry Surendra Kumar

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विफलता में सफलता

विफलता में सफलता

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विफलता में सफलता का मंज़र देखता हूँ,

मैं हर प्रयास में इक नया सफर देखता हूँ।


वक्त क्या विफल करेगा मेरे हौसलों को,

मैं उसकी हर चोट के असर को देखता हूँ।


मंजिल की तलाश जो अभी तक अधूरी है,

उसकी हर चुनौती को मैं कमतर देखता हूँ।


विचारों के समंदर में मैं हर बार उठा हूँ गिर -गिर कर,

शिकायत है मेरी वक्त से फकत इतनी,

वह मुझे मैं उसे हर बार शिकस्त देने की सोचता हूँ।


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