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Mistry Surendra Kumar

Tragedy Others

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Mistry Surendra Kumar

Tragedy Others

जीवन

जीवन

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पढ़ते आए शास्त्र पुराणों में,

पहला सुख नीरोगी काया है ।।

यह जानते हुए भी ऐ मानव !

क्यों कुमार्ग पर भरमाया है ।।

मानव जीवन मिला बड़े यत्नों से,

इसको क्यों झुठलाया है ।।

छोड़ दुर्व्यसनों को आगे बढ़ ,

कर चरितार्थ उत्तम कर्म , यही तेरी माया है ।।



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