Minal Aggarwal

Abstract

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Minal Aggarwal

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एक चिड़िया क्या सपना देखती होगी

एक चिड़िया क्या सपना देखती होगी

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दिल पर इतना बोझ है कि 

सपने देखने का न अब मुझे कोई शौक है लेकिन 

जिसको देखने हैं 

वह अवश्य देखें 

बंद आंखों से नींद में और 

खुली आंखों से जागते हुए 

कोई जब जोश में भरा होता है और 

अपने सपने पूरे करने के लिए 

अपनी मंजिल की ओर 

कदम अपने बढ़ा रहा होता है तो 

मुझे उस व्यक्ति को देखकर 

बड़ी प्रसन्नता होती है कि 

चलो इसे तो कम से कम 

अभी नहीं मालूम 

जीवन की कड़वी सच्चाइयां 

जीवन क्या है 

जब तक यह बात समझ नहीं आती 

सपने देखना किसे अच्छा नहीं 

लगता लेकिन 

उम्र और अनुभवों का भी अपना 

तकाजा है 

सपने पूरे होते रहें तो 

सपने और देखने का और 

उन्हें पूरा करने का 

दिल को ख्याल आता है 

एक लम्बे समय तक 

सपने जब पूरे नहीं होते तो 

फिर एक समय अन्ततः 

ऐसा आ ही जाता है कि 

सपनों को अलविदा कहकर 

कोई यथार्थ की पृष्ठभूमि पर 

कदम रख ही देता है और 

एक आम आदमी की तरह ही 

जीवन को सच्चाई और 

ईमानदारी से 

सादे तरीके से जीने लगता है 

कभी कभी सोचती हूं कि 

बस यह आदमी जात ही 

सपने देखते हैं या 

प्रकृति में विद्यमान 

अन्य जीव जंतु भी 

मसलन एक चिड़िया 

रात को जब सोती होगी तो 

क्या सपना देखती होगी 

अपने जीवन में यह क्या पाना 

चाहती होगी 

आसमान में तो यह पंख 

फैलाकर उड़ ही लेती है 

अपना घोंसला भी तिनके 

जोड़ जोड़ कर बना लेती है 

अपने आप ही अपने सारे कार्य 

कर लेती है 

दाने पानी की व्यवस्था के 

लिए भी किसी अन्य पर 

निर्भर नहीं 

आंधी तूफान से भी नहीं 

डरती 

सारी बाधाओं को 

चीरती हुई 

एक मर्दानी सी 

किसी भी दिशा में 

उड़ने की ताकत रखती है 

सब कुछ तो यह छोटी सी 

चिड़िया कर पाती है जो 

एक साधन संपन्न मनुष्य के 

बस की बात नहीं तो 

मुझे नहीं लगता कि 

एक इंसान की तरह यह 

चिड़िया कोई सपना 

देखती होगी और 

जीवन में किसी मंजिल 

को पाना चाहती होगी 

यह पाने की लालसा तो 

लालच की हद तक 

एक मनुष्य में ही होती है 

तभी वह उम्र भर सपने 

देखना चाहता है 

उन्हें पाने की दिल में 

आकांक्षा लिए 

एक दिन अचानक ही 

सब कुछ जो शायद था 

सपनों से अधिक महत्वपूर्ण को 

बिना पाये 

इस दुनिया को अलविदा कह 

जाता है।


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