भक्ति
भक्ति
रटते रहे नाम प्रभु का
ज्यों हो कोई तोता
ग्रंथ रटे, पोथी रटी
चढ़ा न रंग प्रभु का
मन मलीन रहा सदा
ओढ़ मैं की चदरिया
मैले मन मिले न साईं
लगे न पार नईया
किवाड़ें खोले मन की
जो जीवन बिताए
मुक्ति के द्वार पर
ख़ुद को वो पाए।
रटते रहे नाम प्रभु का
ज्यों हो कोई तोता
ग्रंथ रटे, पोथी रटी
चढ़ा न रंग प्रभु का
मन मलीन रहा सदा
ओढ़ मैं की चदरिया
मैले मन मिले न साईं
लगे न पार नईया
किवाड़ें खोले मन की
जो जीवन बिताए
मुक्ति के द्वार पर
ख़ुद को वो पाए।