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Sheetal Agarwal

Drama Inspirational Others

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Sheetal Agarwal

Drama Inspirational Others

वसुधैव कुटुम्बकम्

वसुधैव कुटुम्बकम्

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जाग ओ मनुष्य जाग

आंखें मूंदे मत भाग

क्या अपना, क्या पराया

सकल जग तेरा सरमाया


याद कर अमूल्य ज्ञान

खोल उपनिषद की खान

'वसुधैव कुटुम्बकम्' कहते ज्ञानी

परम ज्ञान के स्वामी


तोड़ मोह की बेड़ियां

मन निर्मल बनाता जा

सब प्राणी जगत में

जान हैं तेरे अपने


सबसे प्रीति निभाए जा

करुणा सागर सा बन जा

पर दुख, पर सुख में

सच्चा भागी बनता जा


कर्मों की गठरी अपनी

सशक्त तू बनाता जा

कर्मों से कृतियों की खाई

धीरे-धीरे तू पाटते जा


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