पर्व मानवता का
पर्व मानवता का
आओ मनाएं एक महोत्सव ऐसा
हर जीव, हर कण साथ करे जलसा
धर्म, जाति, वर्ण पूछे न कोई किसी से
मानवता का परचम लहराए सबसे ऊंचे
दीप जलाएं, पेड़ सजाएं, फिरनी पकाएं
कोई न भूखा सोए, अंधेरे से सब बाहर आएं
धरती मां भी शामिल हो इस त्योहार में
उसके शुक्रगुजार हों, उसे संभालें सारे
मां है धरा, देती अमानतें हजार, बार-बार
न हो ज़ार-जा़र, एकलौते पूत सम दें इसे प्यार।
