गणतंत्र
गणतंत्र
भारत का गणतंत्र, एकता का शुभ मंत्र,
मिल सबने रचाया, फूले फले हर पल।
बीती लंबी थी गुलामी, बागडोर खुद थामी,
कानून की कमी खली, देखा गया बुद्धि-बल।
बुद्धिजीवी कार्य जुटे, बाधा विघ्न सब मिटे,
भगीरथ प्रयास से, रचा कानून अचल।
उन्नीस सौ पचास में, जनवरी छब्बीस थी,
गणतंत्र देश बना, खिले मन थे सकल॥१॥
जन देश की ताकत, जन बुद्धि का भंडार,
मिल रचे सरकार, जनतंत्र है सबल।
होता योग्य का चयन, खुश होता जन मन,
साधे जन का कल्याण, लोकतंत्र वो सफल।
प्रतिनिधि पथभ्रष्ट, जनता को देता कष्ट,
सब जन मिलकर, देते उसे प्रतिफल।
जनता का खुद पर, लगे शुभ जो शासन,
संतुष्टि का भाव रहे, खुशी पाते सब जन॥२॥
