तन के मैल को खूब मला तूने, मन का मैल न धो पाया! तन के मैल को खूब मला तूने, मन का मैल न धो पाया!
गुंजायमान है यह गगन, दिल भी है अब मगन। आओ घुल मिल जाए मन, जागे भारत का हर जन जन। गुंजायमान है यह गगन, दिल भी है अब मगन। आओ घुल मिल जाए मन, जागे भारत का हर जन...
क्या पार्टी में असंतुष्ट जन हैं क्या पार्टी में असंतुष्ट जन हैं
पावन पर्व हो स्वतंत्रता का, हम श्रद्धा से शीश झुकाते हैं ! पावन पर्व हो स्वतंत्रता का, हम श्रद्धा से शीश झुकाते हैं !
बहुत बुरी बनी है महामारी पूरी सृष्टि इस समक्ष हारी। बहुत बुरी बनी है महामारी पूरी सृष्टि इस समक्ष हारी।
फांसी की बेदी को चुम कर तुमने देश को इंक़लाब का नारा दिया। फांसी की बेदी को चुम कर तुमने देश को इंक़लाब का नारा दिया।