अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप। अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप।
बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा। बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा।
जीवन के संग्राम में हम करें आभार उसी परमात्मा का। जीवन के संग्राम में हम करें आभार उसी परमात्मा का।
तुम बसे हो मुझ में, देह में दिल हो ज्यूँ मौन हर्फ हो चेतना के, कैसे समझाऊं तुम बसे हो मुझ में, देह में दिल हो ज्यूँ मौन हर्फ हो चेतना के, कैसे समझ...
मुझ अबोली नदी की आत्मकथा को कोई समझे भी तो कैसे? मुझ अबोली नदी की आत्मकथा को कोई समझे भी तो कैसे?
एक तारक में दिखी छवि नभ-निवासी की उसे तीव्र स्वर में फूट वह भू-वासिनी गाने लगी। एक तारक में दिखी छवि नभ-निवासी की उसे तीव्र स्वर में फूट वह भू-वासिनी गाने लग...