मुझ अबोली नदी की आत्मकथा को कोई समझे भी तो कैसे? मुझ अबोली नदी की आत्मकथा को कोई समझे भी तो कैसे?
अहसासों की बस्ती में कुछ मंज़र न मैं देख सका, यूँ ही बहते आसुओं को चाहकर भी न रोक सका । अहसासों की बस्ती में कुछ मंज़र न मैं देख सका, यूँ ही बहते आसुओं को चाहकर भी न ...
दुख और दर्द में पल पल साथ निभाता दुख और दर्द में पल पल साथ निभाता
प्रेम मिलन राधा कृष्ण के जैसा हो प्रेम, प्रेम मिलन राधा कृष्ण के जैसा हो प्रेम,
ना कभी भुलाया मैंने ना भूली मुझको। ना कभी भुलाया मैंने ना भूली मुझको।
आकर मेरी ज़िन्दगी में अच्छा किया तुमने ज़िन्दगी को मेरी नव रूप दे दिया तुमने। आकर मेरी ज़िन्दगी में अच्छा किया तुमने ज़िन्दगी को मेरी नव रूप दे दिया तुमने...