नहीं कोई मेरा जताऊँ किसे मैं। नहीं कोई मेरा जताऊँ किसे मैं।
अब मुझे अपने हाल पे छोड़ दो। ज़ख्म देकर मरहम लगाने की, इनायत ना किया कर। अब मुझे अपने हाल पे छोड़ दो। ज़ख्म देकर मरहम लगाने की, इनायत ना किया कर।
ममता, समर्पण, माधुर्य वही है, परहित में खुद मिट जाती है वो !कोमल तन-मन मगर हौसला, कि वक्त से भी भिड़... ममता, समर्पण, माधुर्य वही है, परहित में खुद मिट जाती है वो !कोमल तन-मन मगर हौसला...
हैं इश्क़ वो मेरी मैं उनका प्रिये दर्द उनको कभी न मैंने इतने दिये। हैं इश्क़ वो मेरी मैं उनका प्रिये दर्द उनको कभी न मैंने इतने दिये।
मानवता सिकुड़ी सिमटी-सी, देख रही हत्यारे इनके। मानवता सिकुड़ी सिमटी-सी, देख रही हत्यारे इनके।
मुमकिन नहीं इस खूबसूरती को चंद अल्फाजो में जकड़ पाए ! मुमकिन नहीं इस खूबसूरती को चंद अल्फाजो में जकड़ पाए !